भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक
👉जम्मू-कश्मीर के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर गिरीश चंद्र मुर्मू को नया CAG (Comptroller and Auditor General) घोषितभारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक मूर्मु को नियुक्त किया गया है. सीएजी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) सरकार का चीफ ऑडिटर है
👉भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG-कैग) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण और एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। वह ऐसा व्यक्ति है जो यह देखता है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए।
👉अनुच्छेद 148 CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्तों से संबंधित है।
👉अनुच्छेद 149 भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है।
👉अनुच्छेद 150 कहता है कि संघ और राज्यों को खातों का विवरण राष्ट्रपति के अनुसार (CAG की सलाह पर) रखना होगा।
👉अनुच्छेद 151 कहता है कि संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखी जाएगी।
👉अनुच्छेद 279- ‘शुद्ध आय’ की गणना CAG द्वारा प्रमाणित की जाती है, जिसका प्रमाणपत्र अंतिम माना जाता है।
👉तीसरी अनुसूची- भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची की धारा IV भारत के CAG और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा पदभार ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का प्रावधान करती है।
👉छठी अनुसूची के अनुसार, ज़िला परिषद या क्षेत्रीय परिषद के खातों को राष्ट्रपति और CAG द्वारा अनुमोदित प्रारूप के अनुसार रखा जाना चाहिये।
👉इन निकायों के खाते का लेखा-जोखा इस तरह से करना होगा जिस प्रकार CAG उचित समझता है और ऐसे खातों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
👉CAG की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिये संविधान में कई प्रावधान किये गए हैं।
👉CAG राष्ट्रपति की सील और वारंट द्वारा नियुक्त किया जाता है और इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। ( दोनों में से जो भी पहले हो)
CAG को राष्ट्रपति द्वारा केवल संविधान में दर्ज प्रक्रिया के अनुसार हटाया जा सकता है जो कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के तरीके के समान है।
👉एक बार CAG के पद से सेवानिवृत्त होने/इस्तीफा देने के बाद वह भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय का पदभार नहीं ले सकता।
👉CAG का वेतन और अन्य सेवा शर्तें नियुक्ति के बाद भिन्न (कम) नहीं की जा सकतीं।
👉उसकी प्रशासनिक शक्तियाँ और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत अधिकारियों की सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा उससे परामर्श के बाद ही निर्धारित की जाती हैं।
👉CAG के कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, जिसमें सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं जिन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।
👉CAG भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य, केंद्रशासित प्रदेश जिसकी विधानसभा होती है, की संचित निधि से संबंधित खातों के सभी प्रकार के खर्चों का परीक्षण करता है।
👉भारत की आकस्मिक निधि और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों का परीक्षण करता है।
👉केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ- हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों का ऑडिट करता है।
👉संबंधित कानूनों द्वारा आवश्यक होने पर वह केंद्र या राज्यों के राजस्व से वित्तपोषित होने वाले सभी निकायों, प्राधिकरणों, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों की आय-व्यय का परीक्षण करता है।
👉राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किये जाने पर किसी अन्य प्राधिकरण के खातों का ऑडिट करता है, जैसे- कोई स्थानीय निकाय।
👉केंद्र और राज्यों के खाते जिस प्रारूप में रखे जाएंगे, उसके संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
👉केंद्र के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट को राष्ट्रपति को सौंपता है, जो संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाती है।
👉किसी राज्य के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, जो राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
👉भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG-कैग) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण और एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। वह ऐसा व्यक्ति है जो यह देखता है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए।
💟👉संवैधानिक प्रावधान
👉अनुच्छेद 148 CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्तों से संबंधित है।
👉अनुच्छेद 149 भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है।
👉अनुच्छेद 150 कहता है कि संघ और राज्यों को खातों का विवरण राष्ट्रपति के अनुसार (CAG की सलाह पर) रखना होगा।
👉अनुच्छेद 151 कहता है कि संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखी जाएगी।
👉अनुच्छेद 279- ‘शुद्ध आय’ की गणना CAG द्वारा प्रमाणित की जाती है, जिसका प्रमाणपत्र अंतिम माना जाता है।
👉तीसरी अनुसूची- भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची की धारा IV भारत के CAG और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा पदभार ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का प्रावधान करती है।
👉छठी अनुसूची के अनुसार, ज़िला परिषद या क्षेत्रीय परिषद के खातों को राष्ट्रपति और CAG द्वारा अनुमोदित प्रारूप के अनुसार रखा जाना चाहिये।
👉इन निकायों के खाते का लेखा-जोखा इस तरह से करना होगा जिस प्रकार CAG उचित समझता है और ऐसे खातों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
💟👉कैग की स्वायत्तता
👉CAG की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिये संविधान में कई प्रावधान किये गए हैं।
👉CAG राष्ट्रपति की सील और वारंट द्वारा नियुक्त किया जाता है और इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। ( दोनों में से जो भी पहले हो)
CAG को राष्ट्रपति द्वारा केवल संविधान में दर्ज प्रक्रिया के अनुसार हटाया जा सकता है जो कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के तरीके के समान है।
👉एक बार CAG के पद से सेवानिवृत्त होने/इस्तीफा देने के बाद वह भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय का पदभार नहीं ले सकता।
👉CAG का वेतन और अन्य सेवा शर्तें नियुक्ति के बाद भिन्न (कम) नहीं की जा सकतीं।
👉उसकी प्रशासनिक शक्तियाँ और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत अधिकारियों की सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा उससे परामर्श के बाद ही निर्धारित की जाती हैं।
👉CAG के कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, जिसमें सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं जिन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।
💟👉CAG के कार्य और शक्तियाँ
👉CAG भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य, केंद्रशासित प्रदेश जिसकी विधानसभा होती है, की संचित निधि से संबंधित खातों के सभी प्रकार के खर्चों का परीक्षण करता है।
👉भारत की आकस्मिक निधि और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों का परीक्षण करता है।
👉केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ- हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों का ऑडिट करता है।
👉संबंधित कानूनों द्वारा आवश्यक होने पर वह केंद्र या राज्यों के राजस्व से वित्तपोषित होने वाले सभी निकायों, प्राधिकरणों, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों की आय-व्यय का परीक्षण करता है।
👉राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किये जाने पर किसी अन्य प्राधिकरण के खातों का ऑडिट करता है, जैसे- कोई स्थानीय निकाय।
👉केंद्र और राज्यों के खाते जिस प्रारूप में रखे जाएंगे, उसके संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
👉केंद्र के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट को राष्ट्रपति को सौंपता है, जो संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाती है।
👉किसी राज्य के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, जो राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
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