Bhagat Singh (भगत सिंह
The ledgened of Bhagat Singh
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैदेखना है जोर कितना वाजुए कातिल में है
भारत माता के सच्चे सपूतों का नाम आए और उस पर हमारे वीर युवा दिलों की धडकन शहीद भगत सिंह का नाम न आये यह नामुमकिन है यह पोस्ट उनके जन्म दिन के अवसर पर उनकों सादर समर्पित है
महात्मा गांधी जी के असहयोग आन्दोलन के पूरी तरह से असफल होने के बाद स्वतंत्रता संग्राम युवा पीढ़ी के हाथ में आ गया था बंगाल में अनुशीलन एवं युगांतर समितियों के साथ साथ सबका साथ मिलने लगा था इसी क्रम में अक्टूबर 1924 में कानपुर में एक सम्मेलन वुलाया गया जिसमें राजगुरु सुुखदेव शिव बर्मा आजाद जैसे तरुण नेताओं ने भाग लिया फलस्वरूप 1928 में hindustan republic associations Or army का जन्म हुआ था bangal bihar , up, Punjab, madras जैसे राज्यों में इनकी शाखाओं की स्थापना हुई
समय 17 दिसम्बर 1928 साईमन कमीशन के विरोध करने के वक्त लाहौर के दरोगा ने लाला लाजपत राय की निर्ममता से हत्या कर दी थी उसी का बदला लेने के लिए क्रांतिकारियों ने सांडर्स की हत्या कर दी जिसके बाद पुलिस द्वारा आमजन पर दमन चक्र चलाया गया लोगों में यह भावना हो गयी कि लीडर तो बचकर निकल जाते हैं और आमजन दमन सहते हैं इसलिए भारत गणतंत्र सेना ने दो स्वयं सेवकों को गिरफ्तारी देने भेजा और भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली विधानसभा की खाली बैंचो पर बम धमाके के साथ अपनी गिरफ्तारी दी चूंकि विधानसभा में बम धमाके से पीड़ित व्यक्ति कोई नहीं था इसलिए सरकार द्वारा लाहौर कांड थोपकर तथा सुखदेव भगत सिंह एवं राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई
शहीद भगत सिंह का जन्म दिन 28 सितम्बर को मनाया जाता है परन्तु इनका जन्म 19 अक्टूबर 1907 को बताया जाता है आपकी माता का नाम विधावती कौर एवं पिता का नाम सरदार किशन सिंह था आप बचपन से ही राष्ट्र भक्ति से कूट कूट कर भरे थे आपका जन्म गाँव बंगा जिला यलपुर वर्तमान में पाकिस्तान में है
आपने जेल के अन्दर से लिखे लेखों में पूजीपतियो की आलोचना की आपकी कृति "मै नास्तिक क्यों हूँ" बहुचर्चित रही है
विश्व युद्ध की समाप्ति पर हार के साथ ही सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी यदि उस समय महात्मा गांधी जी ने समझोते में इनको फांसी नहीं दिये जाने की मांग रखी होती तो भारत माता का यह लाल आज हमारे राष्ट्र को नयी दिशा दे गया होता माना जाता है कि उस समय पर आप बहुत लोकप्रिय नेता हो चुकें थे इस कारण राजनीतिको के लिए आप सभी देशवासियों को राष्ट्र भक्ति का पाठ पढाकर चले
आपका बचपन भी वीरतापूर्ण कहानियों से भरा हुआ था आप शुरुआत से ही स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहे थे उसी समय घटित जलियांवाला बाग हत्याकांड ने इस सरकार को उखाड़ फेंकने के संकल्प को चिंगारी देने का काम किया जिस समय अधिकांश लोग अपने जीवन को लेकर ऊहापोह में लगे रहते हैं आपका निर्णय स्पष्ट था और अल्पायु में ही आप सभी को बहुत बडा संदेश देकर चले गए
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..........................
यह बीर भगत सिंह की वह चिट्ठी है जिसे भगतसिंह ने फांसी से पूर्व पंजाब के तत्कालीन गवर्नर को लिखी थी जिसमें भगत सिंह वेवाकी से लिखता है कि इंग्लैंड की सरकार और भारत की सरकार के मध्य युद्ध शुरू हो चुका है और यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक भारत से आपको उखाड़ कर फेकने का काम नही हो जाता है
बीर भगत सिंह दूसरी बात लिखता है कि मैं कोई माफी वाफी नही मांग रहा क्यौंकि मैं जानता हूँ कि might is always rights जो कि कोर्ट कार्यवाही के दौरान मैं देख चुका हूँ कुछ चापलूस नेताओं और अफसरों को देशभक्ति सिखाने के लिए मैं चाहता हूँ मुझे गोली मार दी जाए
खैर तुम भी मजबूर हो
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही नामोनिशां होगा
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्
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